किसी भी इंसान के जीवन में सबसे बड़ा योगदान उसके माता-पिता का होता है। माता-पिता को भगवान का दर्जा दिया जाता है क्योंकि वह हमें जीवन में अच्छे-बुरे, सही-गलत के बारे में सबसे पहले बताते है और माता-पिता का होना इस दुनिया में किसी भी दौलत से बड़ा धन है। माता-पिता अपने बच्चे के अच्छे भविष्य बहुत कुछ करते है, ऐसे में माता-पिता दिवस या पेरेंट्स डे पर उन्हें स्पेशल फील करवाएं और उन्हें पेरेंट्स डे विशेस, मैसेज, एसएमएस, कोट्स, शायरी, स्टेटस, इमेज ड्आदि की मदद से इस दिन की हार्दिक शुभकामनाएं दें।
हर साल पेरेंट्स डे सेलिब्रेट करने का मकसद इंसान को उसके माता-पिता के प्यार, त्याग, समर्पण आदि से रूबरू करवाना और उनके प्रति प्रेम की भावना जाग्रत करना होता है। सबसे पहले माता-पिता दिवस की शुरुआत 1994 में हुई थी, तब से लेकर हर साल इस दिवस को बड़े उत्साह के साथ दुनियाभर के देशों में मनाया जाता है। पेरेंट्स हमारे भगवान है और भगवान की पूजा करना हर किसी का कर्तव्य है। माता-पिता हमे हर पल कुछ नया सिखाते है ऐसे में उनकी पूजा करना हमारा परम कर्तव्य है। आज की इस पोस्ट में हम पेरेंट्स डे विशेस, मैसेज, कोट्स, इमेज की बेस्ट कलेक्शन लेकर आए है। जिनकी मदद से आप अपने पेरेंट्स को इस खास दिन पर कुछ संदेश भेजकर उन्हें स्पेशल फील करवाएं।
पेरेंट्स डे 2020 निबंध हिंदी में
मनुष्य का जीवन अनेक उतार-चढ़ावों से होकर गुजरता है । उसकी नवजात शिशु अवस्था से लेकर विद्यार्थी जीवन, फिर गृहस्थ जीवन तत्पश्चात् मृत्यु तक वह अनेक प्रकार के अनुभवों से गुजरता है ।
अपने जीवन में वह अनेक प्रकार के कार्यों व उत्तरदायित्वों का निर्वाह करता है । परंतु अपने माता-पिता के प्रति कर्तव्य व उत्तरदायित्वों को वह जीवन पर्यत नहीं चुका सकता है । माता-पिता से संतान को जो कुछ भी प्राप्त होता है वह अमूल्य है । माँ की ममता व स्नेह तथा पिता का अनुशासन किसी भी मनुष्य के व्यक्तित्व निर्माण में सबसे प्रमुख भूमिका रखते हैं ।
किसी भी मनुष्य को उसके जन्म से लेकर उसे अपने पैरों तक खड़ा करने में माता-पिता को किन-किन कठिनाइयों से होकर गुजरना पड़ता है इसका वास्तविक अनुमान संभवत: स्वयं माता या पिता बनने के उपरांत ही लगाया जा सकता है । हिंदू शास्त्रों व वेदों के अनुसार मनुष्य को 84 लाख योनियो के पश्चात् मानव शरीर प्राप्त होता है । इस दृष्टि से माता-पिता सदैव पूजनीय होते हैं जिनके कारण हमें यह दुर्लभ मानव शरीर की प्राप्ति हुई ।
आज संसार में यदि हमारा कुछ भी अस्तित्व है या हमारी इस जगत में कोई पहचान है तो उसका संपूर्ण श्रेय हमारे माता-पिता को ही जाता है । यही कारण है कि भारत के आदर्श पुरुषों में से एक राम ने माता-पिता के एक इशारे पर युवराज पद का मोह त्याग दिया और वन चले गए ।
कितने कष्टों को सहकर माता पुत्र को जन्म देती है, उसके पश्चात् अपने स्नेह रूपी अमृत से सींचकर उसे बड़ा करती है । माता-पिता के स्नेह व दुलार से बालक उन संवेदनाओं को आत्मसात् करता है जिससे उसे मानसिक बल प्राप्त होता है ।
हमारी अनेक गलतियों व अपराधों को वे कष्ट सहते हुए भी क्षमा करते हैं और सदैव हमारे हितों को ध्यान में रखते हुए सद्मार्ग पर चलने हेतु प्रेरित करते हैं । पिता का अनुशासन हमें कुसंगति के मार्ग पर चलने से रोकता है एवं सदैव विकास व प्रगति के पथ पर चलने की प्रेरणा देता है ।
यदि कोई डॉक्टर, इंजीनियर व उच्च पदों पर आसीन होता है तो उसके पीछे उसके माता-पिता का त्याग, बलिदान व उनकी प्रेरणा की शक्ति निहित होती है । यदि प्रांरभ से ही माता-पिता से उसे सही सीख व प्ररेणा नहीं मिली होती तो संभवत: समाज में उसे वह प्रतिष्ठा व सम्मान प्राप्त नहीं होता ।
